पितृ दोष, जिसे पितृ ऋण या पितृ शाप भी कहा जाता है, ज्योतिष में एक ऐसी स्थिति है जिसमें पूर्वजों की आत्माओं के असंतोष के कारण जातक को विभिन्न प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं।
जन्म कुंडली (Janam Kundali), जिसे जन्मपत्री भी कहा जाता है, ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण साधन है। यह एक व्यक्ति के जन्म के समय ग्रहों की स्थिति का एक चित्र है, जो उनके जीवन, भाग्य और भविष्य के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
यह स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं, पारिवारिक समस्याओं, वित्तीय कठिनाइयों और परेशान करने वाले सपनों जैसी कई परेशानियाँ लेकर आता है । राहु और केतु, नकारात्मक प्रभाव वाले दो ग्रह, इस दोष के लिए जिम्मेदार हैं। काल सर्प दोष के चेतावनी संकेतों में बार-बार बीमार पड़ना, दृष्टि संबंधी समस्याएं, परेशान करने वाले सपने और लगातार मानसिक तनाव शामिल हैं।
कुंडली में मंगल दोष (Mangal Dosh) या मांगलिक दोष (Manglik Dosh) का मतलब है कि मंगल ग्रह (Mars) जन्म कुंडली के कुछ विशिष्ट भावों में स्थित है, जिससे व्यक्ति के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, विशेषकर वैवाहिक जीवन पर.
वास्तु दोष का मतलब है घर या अन्य जगह में ऊर्जा का असंतुलन। यह असंतुलन वास्तु शास्त्र के नियमों के अनुसार घर न बनाने या गलत तरीके से निर्माण करने के कारण होता है। इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ता है, जिससे परिवार के सदस्यों को विभिन्न समस्याएं जैसे स्वास्थ्य, धन और संबंधों से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं.
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